रविवार, 26 अगस्त 2012

अर्चना


आओ आओ बेग पधारो व्याकुल ह्रदय हमारा है ,
नाथ न क्यों सुनते अनुनय हो निठुर भाव क्यों धारा है !

दुखी दीन हैं, मन मलीन हैं तेरी गउएँ गोपाला,
आजा फिर दिखला दे मोहन मधुर दृश्य गोकुल वाला !

बृज की शोभा क्षीण हुई है ऐ बृजराज दुलारे आ ,
विरह व्यथा से व्याकुल गोपिन के जीवन उजियारे आ !

माँ जसुदा की सुघर गोद के प्यारे कुँवर कन्हैया आ ,
वंशीधारी, गिरिवरधारी, वन-वन वेणु बजैया आ !

किरण


9 टिप्‍पणियां:

  1. माँ जसुदा के --------व वन वेणु बजैया आ "
    अच्छी प्रार्थना
    आशा

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  2. भक्तिमय भाव और हृदय से निकली प्रार्थना ...!!
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
    शुभकामनायें...साधना जी ...!!

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  3. बृज की शोभा क्षीण हुई है ऐ बृजराज दुलारे आ ,
    विरह व्यथा से व्याकुल गोपिन के जीवन उजियारे आ !

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  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
    शुभकामनायें

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  5. दुखी दीन हैं, मन मलीन हैं तेरी गउएँ गोपाला,
    आजा फिर दिखला दे मोहन मधुर दृश्य गोकुल वाला !

    विरह और भक्तिभाव से परिपूर्ण भाव दिल को छू गये।

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