रविवार, 15 अप्रैल 2012

जहाँ से चले थे

जहाँ से चले थे वहीं जा रहे हैं ,
न पूछो कि क्या-क्या लिये जा रहे हैं !

किसीकी खुशी का लुटा कारवाँ है ,
किसीके चमन पर बरसती खिज़ाँ है ,
ये दिल बेबसी से सिये जा रहे हैं ,
न पूछो कि क्या-क्या लिये जा रहे हैं !

यहाँ गम के नगमें सुनाएँ किसे हम ,
तड़पता हुआ दिल दिखायें किसे हम ,
हम आँखों के आँसू पिये जा रहे हैं ,
न पूछो कि क्या-क्या लिये जा रहे हैं !

किसीकी निगाहों में बेकार हैं हम ,
किसीकी तमन्ना से बेज़ार हैं हम ,
सिसकते हुए भी जिए जा रहे हैं ,
न पूछो कि क्या-क्या लिये जा रहे हैं !

मचलते रहें यूँ ना अरमाँ किसीके ,
बिखरते फिरें यूँ ना सामाँ किसीके ,
जियें वो दुआ हम दिये जा रहे हैं ,
न पूछो कि क्या-क्या लिये जा रहे हैं !


किरण

4 टिप्‍पणियां:

  1. मचलते रहें यूँ ना अरमाँ किसीके ,
    बिखरते फिरें यूँ ना सामाँ किसीके ,
    जियें वो दुआ हम दिये जा रहे हैं ,
    न पूछो कि क्या-क्या लिये जा रहे हैं !

    बहुत खूबसूरत रचना

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  2. बहुत कुछ कह गयी यह रचना |
    आशा

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  3. यहाँ गम के नगमें सुनाएँ किसे हम ,
    तड़पता हुआ दिल दिखायें किसे हम ,
    हम आँखों के आँसू पिये जा रहे हैं ,
    न पूछो कि क्या-क्या लिये जा रहे हैं ...

    वाह ... लाजवाब गीत है ... गुनगुनाने कों जी चाहता है ...

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