रविवार, 29 जनवरी 2012

हे राम


बापू के निर्वाण दिवस पर माँ की अनमोल कृतियों से यह अनुपम रचना श्रद्धांजलि स्वरुप आपके लिये प्रस्तुत है ! पढ़िये और आनंद उठाइये !

कौन कहता राष्ट्र का दीपक बुझा छाया अँधेरा ,
कौन कहता स्वर्ग में पाया है बापू ने बसेरा !

कौन कहता खो गया वह रत्न दुःख सागर बढ़ा कर ,
कौन कहता वह अमर मानव गया निज बलि चढ़ा कर !

आज भी बापू हमारे बीच में हैं आँख खोलो ,
सत्य की सुरसरि बहाते हैं उठो सब पाप धो लो !

देख लो दलितों के उर में हैं बसे वे भव्य भावन ,
देख लो जन-जन के प्राणों में रसे वे पतित पावन !

देख लो नव राष्ट्र की नाली में उनका रक्त बहता ,
देख लो स्वातंत्र्य सत्ता में उन्हें प्रत्यक्ष रहता !

आज भी मर कर अमर वे और तुम जी कर मरे से ,
खोजते हो पथ निरंतर भ्रमित माया में डरे से !

आज भी ध्रुव से प्रकाशित कर रहे तम का निवारण ,
भावना के बंधनों में बँध रहे वे तरणि तारण !

एक थे पहले, अनेकों रूप अब धारण किये हैं ,
युग प्रवर्तक, महा मानव, आज अमृत सा पिये हैं !

सैकड़ों युग तक जियेंगे पथ प्रदर्शक देव गाँधी ,
प्रति हृदय मंदिर बनेगा और प्रतिमा पूज्य गाँधी !

किरण


माँ की इस विनम्र श्रद्धांजलि में मेरे भाव कुसुम भी बापू के लिये सविनय समर्पित हैं !

13 टिप्‍पणियां:

  1. आज भी मर कर अमर वे और तुम जी कर मरे से ,
    खोजते हो पथ निरंतर भ्रमित माया में डरे से !

    आज भी ध्रुव से प्रकाशित कर रहे तम का निवारण ,
    भावना के बंधनों में बँध रहे वे तरणि तारण !

    बहुत सुन्दर शब्दों और भावनाओं से बापू को श्रद्धांजलि दी है ... बापू की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि .

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  2. Nice poem.

    Gandhi ji ne kaha tha Ishwar Allah tero naam ...
    Unhone satya kaha tha , dekhiye -

    वेद क़ुरआन में ईश्वर का स्वरूप God in Ved & Quran
    हम परमेश्वर के मार्गदर्शन में चलें जो कि वास्तव में ही ज्ञान का देने वाला है। उसका परिचय वेद और क़ुरआन में इस तरह आया है-
    ...
    1. हुवल अव्वलु वल आखि़रु वज़्-ज़ाहिरु वल्-बातिनु, व हु-व बिकुल्लि शैइन अलीम.
    वही आदि है और अन्त है, और वही भीतर है और वही बाहर है, और वह हर चीज़ का ज्ञान रखता है.
    (पवित्र क़ुरआन, 57,3)

    त्वमग्ने प्रथमो अंगिरस्तमः ...
    अर्थात हे परमेश्वर ! तू सबसे पहला है और सबसे अधिक जानने वाला है.
    (ऋग्वेद, 1,31,2)

    2. ...लै-इ-स कमिस्लिहि शैउन ...
    अर्थात उसके जैसी कोई चीज़ नहीं है.
    (पवित्र क़ुरआन, 42,11)

    न तस्य प्रतिमा अस्ति ...
    उस परमेश्वर की कोई मूर्ति नहीं बन सकती.
    (यजुर्वेद, 32,3)

    सनातन धर्म यही है। सनातन सत्य को सब मिलकर थामें तो बहुत सी दूरियां ख़ुद ब ख़ुद ही ख़त्म हो जाएंगी।

    http://vedquran.blogspot.com/2012/01/god-in-ved-quran.html

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  3. बहुत अच्छी और सशक्त कविता
    'आज भी ध्रुब से प्रकाशित कर रहे -----वे तरनि तारण" बढ़िया पंक्ति
    आशा

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  4. बहुत सुंदर रचना से दी है श्रद्धांजलि ...!!
    मर्म को छू गयी रचना |मन से मेरी भी श्रद्धांजलि ...!!

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  5. सुन्दर प्रस्तुति………बापू की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि .

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  6. सुंदर रचना... बापू को विनम्र श्रद्धांजलि...

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  7. आज भी मर कर अमर वे और तुम जी कर मरे से ,
    खोजते हो पथ निरंतर भ्रमित माया में डरे से !

    मन विह्वल कर गयी ये रचना...बहुत ही भावपूर्ण शब्दों में श्रद्धांजलि दी है
    राष्ट्र पिता को शत शत नमन

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  8. aadarniya mausiji sadar vande, aabhar vyakt karti hun ki aesi rachnayen rchanakaron ki sjeev upasthiti ka abhas krati haen.

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  9. बापू की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि

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  10. बापू जी को सत् सत् नमन,...
    बहुत सुंदर रचना,लाजबाब प्रस्तुती .

    MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

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