शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

माँ का चित्र


चतुर चितेरे अंकित कर दे
माँ का ऐसा रूप महान् ,
चित्रपटी पर रच दे सुन्दर
नयन नीर, मुख पर मुस्कान !

संसृति के विशाल प्रांगण में
ऐसा अद्भुत तने वितान ,
विजयोत्सव का दशों दिशा में
गूँजे अविरल शाश्वत गान !

रचना मरकत का सिंहासन
कदलि खम्भ चहुँ ओर सजे ,
देव देहधारी मनुजों से
अमरावति का रूप लजे !

सित वसना सुन्दरी एक
दिखलाना सिंहासन आसीन ,
पीत कमल, मुख पर स्मित की
खिली हुई हो रेखा क्षीण !

चित्रकार उस महिमामयी पर
बीते हों जितने दुःख भार ,
क्षत-विक्षत वृणपूर्ण देह में
दिखलाना दृढ़ धैर्य अपार !

नव आगत सुख के स्वागत में
झंकृत उर तंत्री के तार ,
ढुलकाना स्निग्ध नयन से
उर का सारा संचित प्यार !

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
लहर-लहर लहराता हो ,
सत् रज तम तीनों भावों को
संसृति में फैलाता हो !

ध्वनि-प्रतिध्वनि होवे त्रिलोक में
भारत माँ का जय जयकार ,
ऐसा सुन्दर सत्य चित्र रच
बन जाओ गुण के आगार !


किरण




15 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रचना।
    भारत माँ का जय जयकार !

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  2. बेहतरीन एवं अद्भुत प्रस्तुति ...!
    सुन्दर एवं सटीक शब्दों का चयन ..!
    मेरी नई पोस्ट पे आपका स्वागत है ...!

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  3. भरत माँ का सुन्दर- सलोना रूप दिखाती उत्कृष्ट रचना

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  4. भारत मा का बहुत सुन्दर विवरण समेटे है यह कविता |
    आशा

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  5. चतुर चितेरे अंकित कर दे
    माँ का ऐसा रूप महान् ,
    चित्रपटी पर रच दे सुन्दर
    नयन नीर, मुख पर मुस्कान

    बहुत सुन्दर विवरण ,उत्कृष्ट रचना

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  6. मन प्रसन्न हो जाता है ऐसी काव्य कृतियों को पढ़ कर। यहाँ सीखने के लिए काफी कुछ है।

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  7. चित्रकार उस महिमामयी पर
    बीते हों जितने दुःख भार ,
    क्षत-विक्षत वृणपूर्ण देह में
    दिखलाना दृढ़ धैर्य अपार !

    अति सुन्दर ....!!

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  8. दोनों माताओं को नमन ....
    आपका आभार !

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