रविवार, 13 नवंबर 2011

मंगल कामना


ओ शरद निशे ले आई हो
क्यों अद्भुत सुख भण्डार सखी ,
लहराता दसों दिशाओं में
आनंद का पारावार सखी !

ले मूक हुई वाणी, कैसे
अब करूँ प्रकट उद्गार सखी ,
सह सकता कैसे दीन हृदय
कब इतने सुख का भार सखी !

बिखरा कर मधुर चंद्रिका यह
किसका तू है स्वागत करती ,
देती बिखेर स्वर्णिम तारे
मानों निर्धन का घर भरती !

मुक्तामय ओस गिरा कर जो
बहुमूल्य निछावर तू करती ,
किसका इस मदिर पवन द्वारा
आराधन, आवाहन करती !

कुछ ऊली फूली बढ़ी चली
किस ओर अरी जाती सजनी ,
द्रुम दल को हिला-हिला सजनी
कल कीर्ति मधुर गाती सजनी !

यदि लाल किले के सुदृढ़ मार्ग
की ओर चली जाती सजनी ,
तो हृदय कुञ्ज के भाव कुसुम
पहुँचा उन तक आती सजनी !

देती बिखेर उन चरणों पर
इस तुच्छ हृदय का प्यार सखी ,
लेती पखार फिर युगल चरण
निर्मल नयनांजलि ढार सखी !

पुलकित उर वीणा की उन तक
पहुँचाना यह झंकार सखी ,
तेरे स्वर में मिलकर ये स्वर
कर उठें मधुर गुंजार सखी !

पृथ्वी, जल, वायु रहे जब तक
गंगा जमुना की धार सखी ,
शशि रहे चंद्रिकायुक्त, रवि
रहे ज्योति का आगार सखी !

लहराए तिरंगा भारत का
सत् रज तम हो साकार सखी ,
हो सुदृढ़ राष्ट्र की नींव
अखंडित हो स्वतंत्र सरकार सखी !


किरण






15 टिप्‍पणियां:

  1. देश के लिये आपकी आशा़यें मूर्त रूप पायें।

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  2. कितनी सुन्दर मनोकामना थी .. काश एक प्रतिशत भी इतने सालों में हुआ होता पूरा ..

    बहुत सुन्दर रचना

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  3. आहा आनंद आ गया
    आ. किरण जी के संस्कार मिले हैं आप दोनों बहनों को, तभी न आप की लेखनी ने सुगमता से छंदों को अपना लिया।

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति |"हो सुदृढ़ राष्ट्र की नीव -----हो स्वतंत्र सरकार सखी "बहुतभाव पूर्ण पंक्तियाँ |
    आशा

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  5. लहराए तिरंगा भारत का
    सत् रज तम हो साकार सखी ,
    हो सुदृढ़ राष्ट्र की नींव...
    इस मंगल कामना की बहुत शुभकामनायें !

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  6. भावपूर्ण-रचना,गहन अभिव्यक्ति से ओत-प्रोत.

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  7. वाह सुन्दर रचना....
    बाल दिवस की शुभकामनाये...
    सादर बधाई...

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  8. पृथ्वी, जल, वायु रहे जब तक
    गंगा जमुना की धार सखी ,
    शशि रहे चंद्रिकायुक्त, रवि
    रहे ज्योति का आगार सखी ...

    बशुत ही सुन्दर प्रवाहमय रचना ...

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