शनिवार, 17 सितंबर 2011

उत्कण्ठा


आज प्रिय घर आयेंगे !
प्राण प्रमुदित हैं सखी प्रियतम सुदर्शन पायेंगे !
सखि आज प्रिय घर आयेंगे !

नयन निर्झरिणी उमड़ कर यह प्रकट करती रही कि ,
आज अपने प्राणधन पर हम ही अर्ध्य चढ़ायेंगे !
सखि आज प्रिय घर आयेंगे !

हृदय उपवन में सखी मन मालि चुन कर पुष्प मृदु ,
सोचता यह हार गुँथ कर हम उन्हें पहनायेंगे !
सखि आज प्रिय घर आयेंगे !

कह उठे कर आज सेवा करके हम होंगे सफल ,
पैर बोले आज स्वागत को प्रथम हम जायेंगे !
सखि आज प्रिय घर आयेंगे !

कहा जिह्वा ने कि स्तुति करके होऊँ धन्य मैं ,
कर्ण बोले शब्द उनके सुनके हम सुख पायेंगे !
सखि आज प्रिय घर आयेंगे !

हो उठी उन्मत्त मैं सखि आगमन लख नाथ का ,
आज मम मानस बिहारी हंस उड़ कर आयेंगे !
सखि आज प्रिय घर आयेंगे !


किरण

चित्र गूगल से साभार


21 टिप्‍पणियां:

  1. साधना जी,बहुत सुन्दर प्रस्तुति है
    प्रिय मिलन के मधुर अहसास का स्मरण कराती
    हुई.इस अभिव्यक्ति में आपकी माता जी ने सुन्दर
    आराधना ही की है.

    मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.

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  2. हमेशा की तरह श्रेष्ठ - सुंदर रचना !

    आदरणीया माताजी की स्मृतियों को शत शत वंदन !

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  3. प्रियतम से मिलन पूर्व की अनुभूति का बहुत ही खूबसूरत खाका खींचा है।

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  4. प्रतीक्षा और आस की मनोहर अभिव्यक्ति।

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  5. प्रियतम से मिलन पूर्व की अनुभूति ......बढ़िया पोस्ट ...सही लिखा है

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  6. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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  7. प्रिय मिलन के भाव को बहुत सुन्दर शब्दों में लिखा है ... अनुपम कृति

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  8. आपकी माता जी की इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  9. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||

    आपको हमारी ओर से

    सादर बधाई ||

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  10. waah shareer ke sare avyav apne apne kaam kitni utkantha se karne ko utsaahit hain.bahut sunder samarpan bhav se ot-prot rachna.

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  11. मन के भावों को बेहतरीन शब्दों में बाँधा है.
    बहुत ही सुन्दर भावना युक्त कविता

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  12. प्रियतम की प्रतिक्षा और मिलन की उत्सुकता ...
    सुन्दर कविता!

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  13. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण |
    आशा

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  14. आजकल हिंदी भाषा का यह सौंदर्य बहुत ही मुश्किल से देखने को मिलता है.भविष्य में भी यह सौंदर्य अपेक्षित है.सादर अभिवादन.

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  15. सुन्दर गीत....
    आ. माता जी को सादर नमन....

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  16. आज प्रिय घर आयेंगे !
    प्राण प्रमुदित हैं सखी प्रियतम सुदर्शन पायेंगे !
    सखि आज प्रिय घर आयेंगे !
    खबसूरत अभिवयक्ति.....

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  17. बहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....

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  18. बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति ..

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