शुक्रवार, 17 जून 2011

ऐ मेरी तूलिके महान्






मेरी तूलिके महान् !

चल री चल अब उस प्रदेश, हो देश प्रेम जहाँ मूरतमान !

ऐ मेरी तूलिके महान् !

माता पुत्र, बहन भाई को निज कर्तव्य बताती हो ,
प्रिया प्राणपति को जिस स्थल सच्चा पथ दिखलाती हो ,
चलो सखी वहीं जहाँ युवक गाते हों देश प्रेम का गान !

ऐ मेरी तूलिके महान् !

"रण विजयी हो पुत्र ", प्रेम से माँ यह आशिष देती हो ,
"भाई लौट न पीठ दिखाना", बहन गर्व से कहती हो ,
कहती हो पतिप्राणा पत्नी, "जय पाना प्राणों के प्राण" !

ऐ मेरी तूलिके महान् !

कहें सुकोमल बाल पिता से, "पिता हमें भी संग लो आज ,
मातृ भूमि हित बलि हो जावें इससे बढ़ कर कौन सुकाज ,
गर्व करे जनजीवन हम पर, हमें देश पर हो अभिमान ! "

ऐ मेरी तूलिके महान् !


किरण

12 टिप्‍पणियां:

  1. तूलिके के सत्मार्ग पर चलने का यह आह्वान काफ़ी प्रेरक है।
    "रण विजयी हो पुत्र ", प्रेम से माँ यह आशिष देती हो ,
    "भाई लौट न पीठ दिखाना", बहन गर्व से कहती हो ,
    कहती हो पतिप्राणा पत्नी, "जय पाना प्राणों के प्राण" !

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  2. ऐ मेरी तूलिके महान् !

    माता पुत्र, बहन भाई को निज कर्तव्य बताती हो ,
    प्रिया प्राणपति को जिस स्थल सच्चा पथ दिखलाती हो ,
    चलो सखी वहीं जहाँ युवक गाते हों देश प्रेम का गान !

    बहुत भावप्रवण रचना .. अद्भुत

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  3. कहें सुकोमल बाल पिता से, "पिता हमें भी संग लो आज ,
    मातृ भूमि हित बलि हो जावें इससे बढ़ कर कौन सुकाज ,

    भावमय करते शब्‍दों के साथ अनुपम प्रस्‍तुति ।

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  4. वाह वाह …………खूबसूरत आह्वान्।

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  5. भावमय करते शब्‍दों के साथ अनुपम प्रस्‍तु|

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  6. मातृ भूमि हित बलि हो जावें इससे बढ़ कर कौन सुकाज ,
    गर्व करे जनजीवन हम पर, हमें देश पर हो अभिमान ! "

    अप्रतिम रचना...बहुत ही सुन्दर

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  7. कहें सुकोमल बाल पिता से, "पिता हमें भी संग लो आज ,
    मातृ भूमि हित बलि हो जावें इससे बढ़ कर कौन सुकाज ,
    गर्व करे जनजीवन हम पर, हमें देश पर हो अभिमान ! "...
    बहुत सुन्दर रचना

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  8. "रण विजयी हो पुत्र ", प्रेम से माँ यह आशिष देती हो ,
    "भाई लौट न पीठ दिखाना", बहन गर्व से कहती हो ,
    कहती हो पतिप्राणा पत्नी, "जय पाना प्राणों के प्राण" ..

    ओजस्वी रचना ... बहुत सुंदर अभवयक्ति ...

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  9. मन को स्पंदित करती रचना |
    आशा

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