शनिवार, 11 दिसंबर 2010

ॠतु वर्णन - वर्षा

ॠतु वर्णन की इस श्रंखला में आज पस्तुत है अंतिम कड़ी 'वर्षा' !

वर्षा

हुई कष्ट से बावली सी अवनि तब
उमड़ कर हृदय स्त्रोत बन भाप आया,
लगाने को मरहम दुखिनी के व्रणों पर
सुघर वैद्य का रूप भर मेघ आया !

बही आह की वायु कहती कहानी
झड़ी आँसुओं की लगी नैन से जब,
सम्हाले न सम्हला रुदन वेग उससे
भरे ताल, नदियाँ उमड़ती चली तब !

चतुर मोर, दादुर बँधा धीर उसको
सुनाने लगे प्रेमियों की कहानी ,
कि किससे पपीहा दुखी हो रहा है,
कि चातक न पीता है क्यों आज पानी !

कि मछली बिना नीर मरती तड़प क्यों,
कि चुगता चकोरा सदा क्यों अंगारे ,
अमर प्रेम उनका, अटल है लगन यह
कि इस प्रेम पर कष्ट तुमने सहारे !

हुआ धैर्य उसको, नयन पोंछ डाले
मिटा ताप तन का, कि सुध-बुध सम्हाली,
नयन में रहा क्षोभ, भूली सभी कुछ
छटा प्रेम की मुख पे छाई निराली !

विकलता धरा की न भाई किसीको
हरी चुनरी ओढ़ तब मुस्कुराई ,
सुनो वह सुनाऊँ कहानी निराली
सुनी, ना अभी तक किसीने सुनाई !

किरण

15 टिप्‍पणियां:

  1. पूजा या नमाज़ कायम करो .....
    जिसकी पूजा
    या नमाज़ सच्ची
    तो उसकी
    जिंदगी अच्छी ,
    जिसकी जिंदगी अच्छी
    उसकी म़ोत अच्छी
    जिसकी म़ोत अच्छी
    उसकी आखेरत अच्छी
    जिसकी आखेरत अच्छी
    उसकी जन्नत पक्की
    तो जनाब इसके लियें
    करो पूजा या नमाज़ सच्ची ।
    अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है.

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  3. बहुत सुन्दर रचना ...ऋतुओं पर लिखी सारी रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं ...पढवाने का आभार .

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  4. ऋतुओं के वर्णन पर बहुत अच्छी उच्चकोटि की रचनायें। साधना जी आपकी हिन्दी बहुत समृ्द्ध है। बधाई।

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  5. बहुत ह्रदय स्पर्शी रचना | प्रभावशाली अभिव्यक्ति |
    आशा

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  6. लगाने को मरहम दुखिनी के व्रणों पर
    सुघर वैद्य का रूप भर मेघ आया !

    क्या अवलोकन है....बरबस ही वाह निकल पड़ता है मुख से...बहुत ही प्रभावशाली रचना..एक सहजता-सरता लिए हुए.

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  7. सुंदर शब्दों में सजा कर वर्षा ऋतू का वर्णन किया गया है!

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  8. आप की कविताये तो संग्रह करने, ओर पुस्तको मे छपने योग्या हे जी,बहुत सुंदर कविताये, प्रसंशा भी कम लगती हे इन के सामने, धन्यवाद

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  9. वर्षा ॠतु का बहुत ही सुन्दर चित्रण्।

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  10. वाह! माटी की सुगंध से परिचय कराती पावस की मनोहारी छटा बिखेरती सुंदर रचना| बधाई|

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  11. विकलता धरा की न भाई किसीको
    हरी चुनरी ओढ़ तब मुस्कुराई ,
    सुनो वह सुनाऊँ कहानी निराली
    सुनी, ना अभी तक किसीने सुनाई !
    --
    बहुत मनोहारी रचना!

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  12. बहुत ही खुबसूरत रचना...मेरा ब्लागः"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ मेरी कविताएँ "हिन्दी साहित्य मंच" पर भी हर सोमवार, शुक्रवार प्रकाशित.....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे......धन्यवाद

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