शनिवार, 6 नवंबर 2010

रहस्य

है रहस्य सारा ही जग यह
सब संसृति मतवाली है,
पार वही हो जाता इससे
जिसने पथ गति पा ली है !

जीवन है वरदान या कि
अभिशाप न जाना जाता है,
है दुर्गम इसकी गली-गली
पथ कोई खोज न पाता है !

सुख सामग्री भी बन जाती
कभी यहाँ दुःख का आगार,
कभी सिखाता दुःख जीवन को
करना अपनेपन से प्यार !

तन की ममता कभी भूलती
कभी मोह होता दुर्दांत,
घृणा कभी होती जीवन से
पीड़ा करती कभी अशांत !

आह खोज कैसे पायेंगे
इस रहस्य को पागल प्राण,
सदा जलेंगे इसी ज्वाल में
होगा कभी न इससे त्राण !

किरण

15 टिप्‍पणियां:

  1. सुख सामग्री भी बन जाती
    कभी यहाँ दुःख का आगार,
    कभी सिखाता दुःख जीवन को
    करना अपनेपन से प्यार !
    सारगर्भित रचना . बहुत सुंदर .बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. अरे... वाह! यहाँ तो जीवन-सत्य को उद्‌घाटित करती हुई एक काव्य-साधिका से भेंट गयी...सरे-राह चलते-चलते!

    बधाई देने का मन बन गया, स्वीकरें!

    जवाब देंहटाएं
  3. टिप्पणी पोस्ट कर देने के बाद आपके ‘आत्मकथ्य’ पर दृष्टि गयी तो कुछ और भी लिखने का मन बन गया...!

    "एक संवेदनशील, भावुक और न्यायप्रिय महिला हूँ। अपने स्तर पर अपने आस पास के लोगों के जीवन में खुशियाँ जोड़ने की यथासम्भव कोशिश में जुटे रहना मुझे अच्छा लगता है।"

    आपके उपरोद्धृत आत्म-कथन से भारतीय संस्कारों की गंध मिलती है।
    जानती हैं...मैडम, भारतीय नारी के माथे पर ‘देवी’ की संज्ञा यूँ ही नहीं टाँक दी गयी है... उसका एक ठोस आधार है...!

    जवाब देंहटाएं
  4. आह खोज कैसे पायेंगे
    इस रहस्य को पागल प्राण,
    सदा जलेंगे इसी ज्वाल में
    होगा कभी न इससे त्राण ! ...

    बहुत गहन भावपूर्ण प्रस्तुति...आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत भाव पूर्ण रचना|हर पंक्ति बार बार पढ़ने का मन होता है |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  6. साधना जी ,

    माता जी की हर रचना में जैसे एक सन्देश छिपा होता है ...जीवन के सत्य को उजागर करती रचना ..बहुत अच्छी लगी


    जीवन है वरदान या कि
    अभिशाप न जाना जाता है,
    है दुर्गम इसकी गली-गली
    पथ कोई खोज न पाता है !

    इसी में भटकता रहता है इंसान

    जवाब देंहटाएं
  7. आह खोज कैसे पायेंगे, इस रहस्य को! सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुख सामग्री भी बन जाती
    कभी यहाँ दुःख का आगार,
    कभी सिखाता दुःख जीवन को
    करना अपनेपन से प्यार !

    भाव पूर्ण रचना....

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत अच्छी प्रस्तुति ...........

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहद गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं
  11. यह जग रहस्य है , जीवन भी रहस्य ...
    इसका पार पाना कहाँ आसान ...
    सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  12. सुख सामग्री भी बन जाती
    कभी यहाँ दुःख का आगार,
    कभी सिखाता दुःख जीवन को
    करना अपनेपन से प्यार ...

    सच कहा है ... यह तो जीवन की माया है ... सुख से दुःख और दुःख में कभी कभी सुख मिल जाता है ... अच्छी रचना है बहुत ही ... .

    जवाब देंहटाएं
  13. गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत रचना

    जवाब देंहटाएं