मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

चाँद और लहर

जब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
चाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !

ऊब कर शून्यता से गगन की बहुत
एक दिन चाँदनी आ सरित से मिली ,
हर लहर में निरख ज्योति के पुंज को
एक प्रतिबिम्ब पाकर बहुत वह खिली !

वीचि के गान में भूल अपनत्व को
उन तरंगों में जा कर स्वयं खो गयी ,
ताल पर हर लहर की लगी नाचने
वह भँवर की सुशैया में जा सो गयी !

स्वप्न देखा अचानक उठी चौंक कर
चाँद तो रूठ कर के कहीं खो गया ,
किन्तु प्रतिबिम्ब लहरों में उसका निरख
क्या जाने अरे ज्योति को हो गया !

क्रोध से उर लगा काँपने उस घड़ी
श्याम मुख हो गया, द्वेष से भर गयी ,
चल पड़ी चंद्रिका लाल मुखड़ा किये
चक्षु से मोतियों की झड़ी लग गयी !

सत्य का अंश भी खोज पाई कहाँ
ईर्ष्या की निशा ने उसे घेर ली ,
जब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
चाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !

किरण

9 टिप्‍पणियां:

  1. जब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
    चाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !

    जबरदस्त अभिव्यक्ति ..........बहुत बहुत बंधाई इस सुन्दर रचना के लिए .....

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  2. सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....

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  3. वीचि के गान में भूल अपनत्व को
    उन तरंगों में जा कर स्वयं खो गयी ,
    ताल पर हर लहर की लगी नाचने
    वह भँवर की सुशैया में जा सो गयी !
    Khoobsoorat,nazakat se paripoorn alfaaz! Zore qalam aur ziyada!

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  4. ाज नाईस से ही काम चलायें बस हाह्जरी लगाने आयी हूँ धन्यवाद्

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  5. जब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
    चाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !
    \

    chand bhi sharma gaya



    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

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  6. भाव प्रवण कविता ,सौंदर्य बोध की बहुत सुंदर कल्पना ,अति
    उत्तम प्रस्तुति |
    आशा

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  7. कुछ शब्दों के अर्थ साथ में लिखें जरूर लिखें। सरित, सुशैया, निशा

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  8. अवश्य कुलवंत जी ,सरित का अर्थ है नदी , सुशैया का अर्थ होता है आरामदेह बिछौना या बिस्तर और निशा का अर्थ होता है रात्रि या रात !
    आपने रचना में इतनी दिलचस्पी दिखाई इसके लिये आभारी हूँ ! इसी तरह कृपा बनाए रखिये ! धन्यवाद !

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  9. जब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
    चाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !

    bahut khoob........

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